...

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बातें करनी हैं
बातें करनी हैं,
इन हवाओं से,
मुझे बातें करनी है,
बारीश की बूँदों से।

बातें करनी हैं,
सिर्फ हरी नहीं, सुखी घास से भी,
मुझे बातें करनी है,
उन कोमल फूलों से।

बातें करनी हैं,
हाथों से फिसलती हुईं रेत से,
मुझे बातें करनी हैं,
नदिया के उस थन्डे पानी से।

बातें करनी हैं,
मेरी सहेलियों से,
मेरी किताबों से।

बातें करनी हैं,
समुंदर की बड़ी लहरों से,
मुझे बातें करनी हैं,
सिर्फ बर्फ से नहीं, हरियाली से ढके पहाड़ों से।

बातें करनी हैं,
अपने अपनों से,
तो कभी अंजान लोगों से,
मुझे बातें करनी हैं,
अपने आप से।
-सान्वी गुरपुडे
© Sanvi Gurpude

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