तुम सोचते हो.....
तुम सोचते हो की मैं दगाबाज हूँ,
पर छुपाए बैठा सीने में मै एक राज़ हूँ ,
ये तुम्हें मालूम नहीं।
तुम सोचते हो की मैंने साथ ना निभाया,
पर तुम्हारी यादों में तो मैंने खुदको भी भुलाया ,
ये तुम्हे मालूम नहीं।
तुम सोचते हो की मेरा हर वादा झूठा था,
पर तुम्हारी खातिर मैं तुमसे रूठा था,
ये तुम्हें मालूम नहीं।
तुम सोचते हो...
पर छुपाए बैठा सीने में मै एक राज़ हूँ ,
ये तुम्हें मालूम नहीं।
तुम सोचते हो की मैंने साथ ना निभाया,
पर तुम्हारी यादों में तो मैंने खुदको भी भुलाया ,
ये तुम्हे मालूम नहीं।
तुम सोचते हो की मेरा हर वादा झूठा था,
पर तुम्हारी खातिर मैं तुमसे रूठा था,
ये तुम्हें मालूम नहीं।
तुम सोचते हो...