मिट्टी मेरे देश की
यूं ही नहीं महकती मेरे देश की मिट्टी
कितने ही लाल के लाल रक्त की बूंदें समाया होगा,
कतार में आज भी अनगिनत खड़े हैं
मत सोचो ये जमीन यूं ही बेशकीमती है।
कहीं किसानों की पसीने से सीचेे हुए हैं...
कितने ही लाल के लाल रक्त की बूंदें समाया होगा,
कतार में आज भी अनगिनत खड़े हैं
मत सोचो ये जमीन यूं ही बेशकीमती है।
कहीं किसानों की पसीने से सीचेे हुए हैं...