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जबसे आए तुम दिल में मेरे बनकर इसकी मनार!!
वो इश्क़ की गलियों में महकता सा इत्र,
मैं बे-पनाह इश्क़ की चीखती सी बयार,
बहक जाती हूं हर वक्त उसकी ख़ुशबू में,
उड़ती हूं मलंग भीगोकर रूह को हर बार!

बचपन के सपनों का एक लंबा थान हो तुम,
बस एक गज उधेड़ कर तुम्हे कर लिया प्यार,
आसमानी घड़े पर चांदनी का ढ़क्कन हो तुम,
जिसे एक घूँट पीकर लिया मैंने ज़हन में उतार!

दिलसाज़ी हो गए हैं ये चुंबकीय जज़्बात तेरे,
नैनों के वार से ही सरेआम हो गए मेरे वक़ार,
तेज़ तेवरियाँ चढ़ गई हैं ये रूहदारियाँ तेरी,
मेरी अना को भी चढा गई हैं अपना ख़ुमार!

संदली सी मुस्कान पर चार चाँद लगा देते हो,
चूमकर पेशानी मेरी दूर कर परेशानियाँ हज़ार,
इल्म होने लगा है मज़हर-ए-नूर-ए-ख़ुदा का,
जबसे आए तुम दिल में मेरे बनकर इसकी मनार!!

© Tarana 🎶