क्यों!
क्यों आज फिर उसकी याद बेइंतेहा आई है,
क्यों ये आँखें इतने वर्षों से सूखी, आज एक पल में भर आई है।
क्या ये इनायत भी अल्लाह से मैंने ही पाई है?
माना कि इसमें भी उसकी मरज़ी...
क्यों ये आँखें इतने वर्षों से सूखी, आज एक पल में भर आई है।
क्या ये इनायत भी अल्लाह से मैंने ही पाई है?
माना कि इसमें भी उसकी मरज़ी...