...

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अगर तुम पढ़ सको तो लिख दूं मैं...
अगर तुम पढ़ सको तो लिख दूं मैं।
लिख दूं मैं.. इश्क़, मोहब्बत, प्यार किसे कहते हैं..?
मीठा सा लगता है जो वो इंतज़ार किसे कहते हैं...?
यहां पास रहकर भी यकीं नहीं होता किसी पर।
क्या लिख दूं मैं यकीं और एतबार किसे कहते हैं...?
अगर तुम पढ़ सको तो लिख दूं मैं।
लिख दूं मैं....कि तुम खिलते गुलाब से लगते हो।
जो देखा मैंने...तुम उस हसीं ख्वाब से लगते हो।
बहुत खूबसूरत लगते हो मुझे...तुम जैसे भी हो।
अंधेरी रात में तुम चमकते माहताब से लगते हो।
अगर तुम पढ़ सको तो लिख दूं मैं।
लिख दूं मैं, कि तुम एक गहरा सुकून हो मेरे लिए।
तुम मेरी ज़िन्दगी का आंखरी, जुनून हो मेरे लिए।
तुम पढ़ कर समझ सको तो बहुत कुछ लिख दूं मैं।
दिल को ज़िंदा रखा है जिसने वो खून हो मेरे लिए।
अगर तुम पढ़ सको तो लिख दूं मैं।