...

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मैं जो लिखता हुँ
लिखता हुँ जो मैं कुछ भी
किसी के लफ़्ज़ उधार लेता हुँ
किसी शाख पे बैठे पंछी के
रंग उधार लेता हुँ
हैं मुझमें कहा ये फन
की कुछ लिख सकुं
ख़ुद से कभी
कभी मजनु कभी लैला
के प्यार उधार लेता हुँ
मैं नहीं लिखता किसी के
बेमाने तारीफ़ों के लिए
मैं बस दिल से दिल का
प्यार लिखता हुँ।