शेर१
(1)
न तो अहल ए खता होती
न तो मीजान ए वफा होती
होता अगर खुदा न इक और
तो क्यूं खुदाई...
न तो अहल ए खता होती
न तो मीजान ए वफा होती
होता अगर खुदा न इक और
तो क्यूं खुदाई...