शेर१
(1)
न तो अहल ए खता होती
न तो मीजान ए वफा होती
होता अगर खुदा न इक और
तो क्यूं खुदाई खफा होती
(2)
मिटने की ख्वाहिश रहने दूं
आग की आजमाइश रहने दूं
सनम हो गए हैं खुदा आखिर
तो क्यों कोई फर्माइश रहने दूं
© Mahamegh
न तो अहल ए खता होती
न तो मीजान ए वफा होती
होता अगर खुदा न इक और
तो क्यूं खुदाई खफा होती
(2)
मिटने की ख्वाहिश रहने दूं
आग की आजमाइश रहने दूं
सनम हो गए हैं खुदा आखिर
तो क्यों कोई फर्माइश रहने दूं
© Mahamegh