...

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शेर१
(1)

न तो अहल ए खता होती
न तो मीजान ए वफा होती
होता अगर खुदा न इक और
तो क्यूं खुदाई खफा होती

(2)

मिटने की ख्वाहिश रहने दूं
आग की आजमाइश रहने दूं
सनम हो गए हैं खुदा आखिर
तो क्यों कोई फर्माइश रहने दूं







© Mahamegh