सफ़र...
_सफ़र_
जिंदगी का ये अंजाम रहा पूजा सफ़र हर घड़ी अनजान रहा
मालूम है मंज़िल, फिर भी ये आदमी बड़ा है हैरान रहा
चलता रहा हर पहर, घड़ी भर की सुध नहीं
मालूम है शहर की ख़बर, पर पूजा ख़ुद की ख़बर नहीं
किसी और के जैसा बनने की चाह हैं सब में
बस ख़ुद ही बनकर रहने की पहल नहीं
सुलझी सी चीज़ों में उलझा हैं, उलझन जैसी कोई...
जिंदगी का ये अंजाम रहा पूजा सफ़र हर घड़ी अनजान रहा
मालूम है मंज़िल, फिर भी ये आदमी बड़ा है हैरान रहा
चलता रहा हर पहर, घड़ी भर की सुध नहीं
मालूम है शहर की ख़बर, पर पूजा ख़ुद की ख़बर नहीं
किसी और के जैसा बनने की चाह हैं सब में
बस ख़ुद ही बनकर रहने की पहल नहीं
सुलझी सी चीज़ों में उलझा हैं, उलझन जैसी कोई...