...

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दर्द से ही दुनिया की पहली कविता बनी होगी...
ऐसे ही थोड़े ये लिखने की प्रथा चली होगी
जब दर्द की जड़े
हुई बहुत गहरी होगी
तब...
दर्द से ही दुनियां की पहली कविता बनी होगी

खुशी में किस आदमी को इतनी फुर्सत होगी
शब्दों की उलझन में पड़ने की
किस को जरूरत पड़ी होगी
तब...
दर्द से ही दुनियां की पहली कविता बनी होगी

जब रुसवा किसी अपने ने किया होगा
बेमतलब का किसी कोई दर्द झेला होगा
अंधेरे में जागने की जब आदत बनी होगी
तब...
दर्द से ही दुनियां की पहली कविता बनी होगी
© 💞 पूजाप्रेम💞