...

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इस कदर बयां होते हैं वो पल।
कुछ इस कदर बयां होते हैं वो पल
जो बेपरवाह सी ठहाकों में बीत गए कल।
हसने खेलने का दौर था जहां
और इन आँखों में थी एक प्यारी सी चमक।।

लंबी लंबी सी रातें थी
बेमतलब सी बातें थी।
था जहां दोस्ती का आलम
वे ऐसे कुछ सुनहरे पल।
जब रहते थे हम सब साथ-साथ
और जागा करते थे पूरी रात
होती थीं तब अश्लील सी बातें
और बीतते थे दिन यूँही हँसते-हंसाते।।

घूमते थे लेकर जब आँखों में सपने हज़ार
और निकल पड़ते सैर पर,
लेकर इन हाथों में किताबों का भंडार।
नही पता था तब हमें मंज़िल का ठिकाना
इन किताबों में ही ढूंढ़ा करते थे
हम अपने सपनों की दुनियाँ।।

टांग खींच कर अपने दोस्तों की,
छेड़ते थे एक दूसरे को हम।
लड़-झगड़ के भी इतना सारा,
रहते थे हम हर पल संग
नहीं पता था हमें तब
क्या होता है तनाव, क्या होता है ग़म।
खुश रहना और ज़िंदगी जीना
इतना ही तो आता था हमें बस,
कुछ ऐसे थे वे खूबसूरत पल।।

आज नहीं है वो बातें
न ही हैं वो किस्से कहानियां
बदल गईं हैं सारी रातें
और रह गईं हैं बस तन्हाईयाँ।
कच्ची उमर के दिन थे वो
जो वक्त के साथ गुज़र गए ।
और आज हम उनकी यादों के सहारे
आ गए जीवन के इस नए मोड़ पे।।

© Riya gupta