उम्मीदों से बना इंसान.....
उम्मीदों से बना इंसान
क्यों बना फिरता है पाषाण,
चलना आता नहीं है
वो दौड़ना समझते है आसान,
छत की दीवारों...
क्यों बना फिरता है पाषाण,
चलना आता नहीं है
वो दौड़ना समझते है आसान,
छत की दीवारों...