...

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क्या लिखूँ...??
कभी कभी लगता है कि क्या लिखूँ
धरती अंबर धूप पानी या हवा लिखूँ

गाँव शहर खेत खलिहान का समाॅं लिखूँ
या कटाई बोआई सिंचाई की महिमा लिखूँ

प्रेम नफ़रत द्वेष कलेश घृणा तृष्णा लिखूँ
वादे इरादे प्रार्थना प्रेरणा प्रतिज्ञा पराकाष्ठा लिखूँ

कर्ज़ दर्द मर्ज़ न जाने कितने हैं रिश्तों के
अब किस किस की दवा लिखूँ

quote कहानी या कविता लिखूँ
in short लिखूँ कुछ या व्याख्या लिखूँ

कितना कुछ तो है लिखने को
मेरे करीब घटित हर वो वाकया लिखूँ

चाहूँ तो क्या क्या न लिख दूँ
फिर भी.. यूँ ही कभी कभी लगता है कि क्या लिखूँ...!!



© bindu