आश्रय
'आश्रय' की चाह में, समर्पण की राह में
चल पड़े हम वीर देखो, प्रेम के उत्साह में
एक ही संकल्प है अब, नीर का निर्माण हो
मन समर्पित, तन समर्पित और प्रस्तुत प्राण हों
'आश्रय' के नाम पथ पर, आश्रय सबका बने
शूल कोई लाख बोए, हम कुसुम कोमल बने
मन में व्रत बस त्याग हो एक, और पग-पग सत्य के
हो भला हर जीव का, ये काम हों बस नित्य के
हम सभी मिलकर सभी का, बन सकें नूतन सवेरा
ये धरा स्वर्णिम सी चमके, हो प्रकृति का रंग...
चल पड़े हम वीर देखो, प्रेम के उत्साह में
एक ही संकल्प है अब, नीर का निर्माण हो
मन समर्पित, तन समर्पित और प्रस्तुत प्राण हों
'आश्रय' के नाम पथ पर, आश्रय सबका बने
शूल कोई लाख बोए, हम कुसुम कोमल बने
मन में व्रत बस त्याग हो एक, और पग-पग सत्य के
हो भला हर जीव का, ये काम हों बस नित्य के
हम सभी मिलकर सभी का, बन सकें नूतन सवेरा
ये धरा स्वर्णिम सी चमके, हो प्रकृति का रंग...