...

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लफ्ज़
तुने तो लफ्ज़ सुना ,पुरी शायरी थी
टूक कह पाया , बाकी हलक में रही

जुबां व दिल की जंग के ग़ाफ़िल
बात कहनी थी मगर दिल में रही

हमें तो शौक रहा ,हर वक्त तेरे होने का
इक तेरे होने से ही मेरी , रौशन महफ़िल रही

तुने तो लफ्ज़ सुना ,पुरी शायरी थी
टूक कह पाया , बाकी हलक में रही

वो जो कभी होंठ गुनगनाने लगे
समझ भी जाना तेरी तलब है लगी

मेरी हर शायरी की सार हो तुम
पूरे अल्फाज़ में बस तू ही रही

तुने तो लफ्ज़ सुना ,पुरी शायरी थी
टूक कह पाया , बाकी हलक में रही।
© Gitanjali Kumari