barsat me...
यूं भी भीगते है अब बरसात में,
आग लगानी हैं सूखे हुए जज़्बात मैं,
मेहसूस नही कर पाते खुदको भी,
इतना डूब चुके थे तेरे खयालात में,
...
आग लगानी हैं सूखे हुए जज़्बात मैं,
मेहसूस नही कर पाते खुदको भी,
इतना डूब चुके थे तेरे खयालात में,
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