...

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सफर लिप्साओ का......
ख्वाहिशो का थाम दामन
चलते फिरते है कदम
तिश्नगी सी है अभी जिनसे
टूटने का डर वही ,मुट्ठी को बांधी है दृढ़ता
क्या पता कल हो , नही
छोड़कर हसरत का कारवां
जाए हम अब किस डगर
बिसराकर हर जग के नाते
तुझको ही जिया पकड़
न मिले जो ऐ,कहानी बन तो जायेगे मगर
होगा तू गुमनाम भी
होगा नही...