zindagi
कहते हैं ज़िन्दगी का दूसरा नाम इम्तिहान हैं
पर क्यूँ, हर इम्तिहान में कोई न कोई क़ुर्बान हैं
अक्सर टूटे सपनो से बिखर जाया करते है वो लोग…
जो भी यहां जीवन के सच से रहते अनजान है
अब सपने संजोने वाली उन आखों का क्या कसूर
नादान दिल की वो...
पर क्यूँ, हर इम्तिहान में कोई न कोई क़ुर्बान हैं
अक्सर टूटे सपनो से बिखर जाया करते है वो लोग…
जो भी यहां जीवन के सच से रहते अनजान है
अब सपने संजोने वाली उन आखों का क्या कसूर
नादान दिल की वो...