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🥀क्यों करें 🥀
अब हम अपनी पहचान किसी को भी बताएं क्यों।
तुम्हारे किसी भी जख्म पे हम मरहम लगाएं क्यों।
अब बस मैं बेवफा हो गई हूं तो, हां हूं मैं बेवफा।
अपने आप को आखिर हम पाक साफ बताएं क्यों।
तुम्हें इश्क़ नहीं है हमसे तो हम हक जताएं क्यों।
तुमको अपने दिल के एहसास हम दिखाएं क्यों।
जब तुम अपने घर में कभी आईना रखते ही नहीं।
तो फिर तुम्हारा खुद से ही हम तार्रुफ कराएं क्यों।
जब हम नुमाइश ही है तो तुमको हम प्यार दिखाएं क्यों।
कतरा कतरा सुलगे है हम तो खुद को हम अब बुझाएं क्यों।
मस्त शीतल लहरों पे सुकून का आशियाना है तुम्हारा।
तो फिर तुम्हारे उस आशियाने को हम आग लगाएं क्यों।
तेरी नज़रों से जब गिर गए तो फिर तेरे घर पे हम आएं क्यों।
मेरी अहमियत नहीं रही कोई तो तेरा दर हम खटखटाएं क्यों
यक़ीनन मैं बहुत ही खूबसूरत सफ़र तय की हूं तेरे साथ,पर।
ना बाबा ना आखिर खुद को इतना जलील हम कराएं क्यों।।
Ruchi Arun...✍️✍️
तुम्हारे किसी भी जख्म पे हम मरहम लगाएं क्यों।
अब बस मैं बेवफा हो गई हूं तो, हां हूं मैं बेवफा।
अपने आप को आखिर हम पाक साफ बताएं क्यों।
तुम्हें इश्क़ नहीं है हमसे तो हम हक जताएं क्यों।
तुमको अपने दिल के एहसास हम दिखाएं क्यों।
जब तुम अपने घर में कभी आईना रखते ही नहीं।
तो फिर तुम्हारा खुद से ही हम तार्रुफ कराएं क्यों।
जब हम नुमाइश ही है तो तुमको हम प्यार दिखाएं क्यों।
कतरा कतरा सुलगे है हम तो खुद को हम अब बुझाएं क्यों।
मस्त शीतल लहरों पे सुकून का आशियाना है तुम्हारा।
तो फिर तुम्हारे उस आशियाने को हम आग लगाएं क्यों।
तेरी नज़रों से जब गिर गए तो फिर तेरे घर पे हम आएं क्यों।
मेरी अहमियत नहीं रही कोई तो तेरा दर हम खटखटाएं क्यों
यक़ीनन मैं बहुत ही खूबसूरत सफ़र तय की हूं तेरे साथ,पर।
ना बाबा ना आखिर खुद को इतना जलील हम कराएं क्यों।।
Ruchi Arun...✍️✍️
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