...

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"रौशन"

मीलों तलक है अंधेरा घना,
तुम हो तो मुझको न कोई गुमां।

रौशन हैं तुमसे राहें मेरी,
मेरे साथ चल दो पनाहें मेरी।

खु़शी-ग़म के पहलू सिरों से जुदा,
मैं, तेरी आबरू तू मेरा ख़ुदा।

© प्रज्ञा वाणी