कैसी कस्मकस है ये ख़ुदा मेरे....
कैसी कस्मकस है ये ऐ ख़ुदा मेरे,,,,
मैं और मेरा ये पागल-सा तड़पता हुआ दिल हर रोज आँखें खुलने से आँखें बन्द होने तक उसके messages के इंतजार में अन्दर ही अन्दर मर जाता है
Chats on कर के ना जाने कितनी बार keyboard पर उँगलियों को टक-टककर के लिखी भी है मैंने अपने इस दिल की बातें
हाँ सोचा है कई बार, कि चलो आज मैं ही अपनी तरफ से बातें शुरू करूं, मग़र
अचानक दिल से कोई आवाज़ आती है, कि हालात और तड़प तो उसके दिल की भी मुझ-जैसी ही होगी ना शायद, तो मैं ही क्यूँ बढूँ आगे
फ़िर messege sent की जगह backspace पर मेरी उँगलियाँ अपने कदम रखती हैं, और
अपने दिल में दबे इस पागलपन वाले प्यार के बीच में human ego यहीं पर आकर अड़ जाता है
हाँ वैसे...
मैं और मेरा ये पागल-सा तड़पता हुआ दिल हर रोज आँखें खुलने से आँखें बन्द होने तक उसके messages के इंतजार में अन्दर ही अन्दर मर जाता है
Chats on कर के ना जाने कितनी बार keyboard पर उँगलियों को टक-टककर के लिखी भी है मैंने अपने इस दिल की बातें
हाँ सोचा है कई बार, कि चलो आज मैं ही अपनी तरफ से बातें शुरू करूं, मग़र
अचानक दिल से कोई आवाज़ आती है, कि हालात और तड़प तो उसके दिल की भी मुझ-जैसी ही होगी ना शायद, तो मैं ही क्यूँ बढूँ आगे
फ़िर messege sent की जगह backspace पर मेरी उँगलियाँ अपने कदम रखती हैं, और
अपने दिल में दबे इस पागलपन वाले प्यार के बीच में human ego यहीं पर आकर अड़ जाता है
हाँ वैसे...