...

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आख़िर क्यों
तुमने मेरी जिंदगी में या हमनें तुम्हारी जिंदगी में आकर गलती की है
यह पछतावा उम्र भर रहेगा ,आख़िर क्यों हमनें तुमसे मोहब्बत की है

तुम तो ख़ुश हो किसी और की बाहों में ,फिर हम दुखी आख़िर क्यों हैं
क्यों तबाह करते हैं खुद की जिंदगी,क्यों तुम्हें ख़ुद में महसूस करते हैं

जब प्यार हमारा समझ से परे है तेरे,तो क्यों तुझसे प्यार हम करतें हैं
क्यों नहीं तुझे नज़र अंदाज कर,अपनी खुशियों में मशरूफ रहा करतें हैं

क्यों तुझे अपने ज़ीने की वज़ह मान,हम घुट घुट कर ज़िया करतें हैं
क्यों नहीं तुझे अपना अतीत समझ,हम तुझे भूल नही ज़ाया करतें हैं

क्यों तेरी सारी गलतियों को भूल कर,तुझसे बेइन्तहा मोहब्बत हम करतें हैं
क्यों नहीं तुझसे दूर रह सारी जिंदगी,तुझे अकेले जीने की सजा दे नही सकते हैं

क्यों आख़िर तुझे हम खुद से भी, ज्यादा चाहा करतें हैं
क्यों तुझे अपनी जान,अपनी जिंदगी तुम्हें हम माना करते हैं