...

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रखना
हर रात नाम हैं तन्हाई के,पर हमारे
हिस्से की थोड़ी तो सुबह रखना,

खिल गए हैं फूल फिर से खुशियों के,
तुम थोड़ी उम्मीदों को तबाह रखना,

पहले हर बात कबूल करते थे,अब
थोड़ी नाराज़गी भी जता रखना,

हर रिश्ते में तुम निभाते हो बेवफ़ाई
पर इस रिश्ते में थोड़ी तो वफ़ा रखना,

जान कहते हैं दिलो-जान से तुम्हें और
जान हमारी तुम थोड़ी सी सता रखना,

लौट आएंगे फिर से इश्क़ के राहों में
तुम ज़रा बस गलियों का पता रखना,

डर ना जाना कहीं फिर ज़माने से,इस

बार फ़ैसला 'ताज' अपने हाथ रखना।
© taj