...

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तुम्हारी हर बात
तुम्हारी हर बात ना जाने क्यों अच्छी लगती है यार ।
क्या शायद मुझको भी सचमुच हो रहा है अब प्यार ॥

एक दिन ना मिलूं तुमसे तो दिल मन बेचैन हो जाता है ।
दूर रहूँ तुमसे नहीं होता है क्या करें अब तो इंतजार ॥

जो सच है वह सच है दिल तुम बिन अब लगता नहीं है ।
ना देखूं ना सुनूं तुम्हें तो ये दिल मेरा होता है अब बेकरार ॥

जवानी का मौसम है हर पल तुम्हारा साथ चाहिए ।
जब भी मिलने आऊँ तुमसे ना कर देना मुझे इंकार ॥

तुम्हें दिल से चाहा है और ताउम्र तुम्हें हीं चाहेगें हम ।
तुम जिस हाल में मिलो हमें सदा रहेगा तेरा सत्कार ॥
© ✍️ विश्वकर्मा जी