शिव बरात और चंद्रशेखर अवतार
"कैलाश से चली महादेव की बारात,
हो रही हर्ष और उमंग की बरसात।
आया जो शिव-पार्वती विवाह का पैगाम,
सजी है दुनिया, खुशियों का लहराया आलम।
सब बने है बराती,
चाहें देव, ऋषि या फिर पिसाच।
झूमते नाचते सब पहुंचेे,
हिमालय पर्वतराज के निवास।
ब्रह्मा, विष्णु, समस्त देवों को देख,
हरषित हुआ कन्या परिवार ,
जब इतना मनमोहक है शिव परिवार,
तो कितने रमणीय होंगे शिव स्वतः।
जब देखा, भूतगण, प्रेतगण को बरात के पाथ,
कुछ के थे दस हाथ, कुछ है बस बिन हाथ,
तो...
हो रही हर्ष और उमंग की बरसात।
आया जो शिव-पार्वती विवाह का पैगाम,
सजी है दुनिया, खुशियों का लहराया आलम।
सब बने है बराती,
चाहें देव, ऋषि या फिर पिसाच।
झूमते नाचते सब पहुंचेे,
हिमालय पर्वतराज के निवास।
ब्रह्मा, विष्णु, समस्त देवों को देख,
हरषित हुआ कन्या परिवार ,
जब इतना मनमोहक है शिव परिवार,
तो कितने रमणीय होंगे शिव स्वतः।
जब देखा, भूतगण, प्रेतगण को बरात के पाथ,
कुछ के थे दस हाथ, कुछ है बस बिन हाथ,
तो...