...

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यह दूषित पानी पीकर
वॉटर, पानी, नीर, जल,
पता नहीं कितने है मेरे नाम,
मुझसे ही मनुष्य के बनते हैं सब काम,
मेरे बिना मनुष्य नहीं जीवित रह पाता,
फिर भी मनुष्य मुझे समझ नहीं पाता,
नदियों में गंदगी फेंक कर,
मुझको दूषित करता रहता,
यह दूषित पानी पीकर,
बीमारियों से घिरता रहता,
अगर आप मुझे गंदगी रहित बनाओगे,
तो आप अनेक बीमारियों से,
खुद को बचाओगे।
© suman