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ए जिंदगी....
ए जिंदगी
तू दिखने में सीधी सादी हैं,
वैसे है नहीं,
लोगों की जोली में खुशियाँ देती हैं,
तो पलभर में छीन भी लेती हैं,
नए रिश्ते भी बनाती हैं,
तो कभी मुँह मोड़ भी लेती हैं,
इंतज़ार कराना कोई तुझसे सीखे,
तुम्हे मनाने के लिए तो,
मन्नत के धागे भी बांध ने पड़ते हैं,
गलतियां हम ने की हों तो,
सजा सुनाती हों,
एक एक पाई का हिसाब तुम रखती हों,
ए जिंदगी,
बहुत सताती हों,
बहुत रुलाती हों,
थोड़ी सी हमारी बात भी सुनलो,
कुछ वक़्त हमें अपने हिसाब से भी जीने दो,
थोड़ी सी लापरवाही होंगी,
तो क्या कसूर होग़ा,
ज़िम्मेदारी तो हमने भी उठाई थीं,
तुजे हररोज सवारने की,
पर हमारे अधूरे चाँद क़ो रौशनी कहाँ मिली,
अब तुम्ही बताओ कितना भागेंगे,
कितना दौड़ेगे,
रुके हुऐ लम्हो में जीने दो जरा.......




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