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दीवारों में छुप छुप कर रहते हैं लोग
दीवारों में छुप छुप कर रहते हैं लोग
एक चोट से सीसे सा बिखर जाते हैं लोग।
न वफा न उम्मीद न आरजू कोई
फिर क्यों एक मुलाकात में जिंदगी गुजार देते हैं लोग।
हर बार उन हादसों से हो कर गुजरा है मनोज
अक्सर जिन पर चलते हुए टूट कर बिखर जाते हैं लोग।।
© मनोज कुमार
एक चोट से सीसे सा बिखर जाते हैं लोग।
न वफा न उम्मीद न आरजू कोई
फिर क्यों एक मुलाकात में जिंदगी गुजार देते हैं लोग।
हर बार उन हादसों से हो कर गुजरा है मनोज
अक्सर जिन पर चलते हुए टूट कर बिखर जाते हैं लोग।।
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