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बेटियां जिन्दा लाश की तरह।पूरा जरुर पढ़ें ☝️☝️
दासता कुछ इस तरह हैं कि बेटियाँ जिन्दा लाश की तरह है।
जीती जागती मूरत ऐसा कि
कोई भी अपना दाव चल दे
वैसे पत्ते ताश की तरह है।
लोग समझते हैं कि बेटी का बोझ कूछ इस तरह है कि
कमाओ खाओ और बचत भी नहीं
उम्र बढ़ती जरूरते बढ़ रही
चैन से बैठने तक राहत नहीं।

मैं पूछती हूँ क्यों गलत है सोच लोगों की
बेटे के इन्तजार में क्यों बेटी को जन्म देते है?
future बिना सोचे present खुद क्यों बिगारते है?
सोचते नहीं कि जन्म जब ली है बेटी तो
फिर क्यों खुल के जीने का अधिकार नहीं...