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मिटता अक्स
देखे थे जहाँ हमारे वस्ल के फुल खिलते
देखता हुँ वहीं से गुबार आँहो के उठते !

जहाँ महकती थी कभी जिंदगी खुशीमे
मैने देखा है वहाँ आँसुओं को सिसकते !
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