...

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यही सत्य है।
हां,
में जानती हुं,
में आई थी कीसी बहाने से,
और,
तुम चाहते थे में मीलु तुम्हे,
पुरी सच्चाई से,
पर,
सुनो,
ना मेने सच कहा,
नाही जुठ का सहारा लिया,
में आई थी बीच वाले रास्ते से,
अपने सच को लिए जिस पर मेरा अधिकार था,
तुम नासमझ बने रहे,
और हम में कुछ टुट गया,
अब सच्चाई यही है।

© lata _अलगारी