...

2 views

ek tarasta insaan......
एक तरसता इंसान जो नहीं है बेईमान,
जब सारा जग है सोता क्यों सारी रात मैं रोता,
क्यों खुश कभी न होता कुछ अच्छा जो न होता,
बस एक सवाल है दिल में क्या होने वाला कल में,
मेहनत तो करता हूँ पर मेहनत नाकाफी है,
जो खर्च करता है रुपया उसको मिलती ट्रॉफी है,
मेरे बाप ने मुझको एक सीख दी जो अपनी जगह तो ठीक थी,
पर आज की दुनिया में जैसे दो रुपये की भीख थी,
उस एक सीख को लेकर जब मैं घर से निकला,
खूब पलट कर देखा पर मेरे बाप का दिल ना पिघला,
वो बोला कुछ बनके आये तब ही वापस आना,
खाली हाथ तो वापस आकर मुझे चेहरा मत दिखाना,
मैं भी बोला देख लो बापू आखरी बार मेरा ये चेहरा,
आऊँगा तब ही वापस जब होगा मेरे खुदके घर पे पहरा,
बकना तो आसान था पर जाकर मैं क्या करता,
कहाँ पे मैं रह लेता और कहाँ से क्या मैं चरता,
उसूलों से पेट न भरता ये बात मैंने तब जानी,
खाली पेट में चूहे जब करने लगे मनमानी,
खुद से बोला क्यों रे कुत्ते जबरन क्यों तू भौंका,
गुस्से में था बापू तो पर माँ ने क्यों न रोका,
कितने बच्चे माँ बापू के बस मुझसे उनको प्यार नहीं,
उत्तर था कोई भी तो है मुझ जैसा बेकार नहीं,
पैसे वो कमा लाते थे उसूलों पे मैं चल लेता था,
सच्चे बाप का सच्चा बेटा खुदको ही मैं कह लेता था,
फिर खुदसे जो मैं भागा तो भगता ही रह गया,
दुनियाँ के हर तानों को मैं हँसते हँसते सह गया,
जुबां से न कुछ बोला मैं आंखों से मैं कह गया,
दर्द का हरएक सैलाब आँसुओं में बह गया,
जो दुश्मन मैंने देखे तो मैं ही बस खड़ा था,
जो दोस्त मैंने ढूंढे तो मैं ही बस बचा था,
अरबों की इस भीड़ में अब मैं ही मेरे साथ हूँ,
कुछ भी नहीं हो सकता मेरा क्योंकि मैं एक सच्चा इंसान हूँ......
- cursedboon (ankit bhardwaj)
@cursedboon
© cursedboon