क्या लिखूं
क्या लिखूं सोचता हूं तनहाई लिख दू।
घर से बिछड़ने का मंजर की जुदाई लिख दू।
किस्से तमाम मेरे सपनों...
घर से बिछड़ने का मंजर की जुदाई लिख दू।
किस्से तमाम मेरे सपनों...