...

6 views

इश्क़ ए माँझा तेरा...
इश्क़-ए-माँझा तेरा मेरे दिल की पतंग को उड़ा रहा है,
नैनों से कर चोरी ज़ालिम,मुझसे मुझ ही को ठगा रहा है,
हौले-हौले से दिल-ए-आसमां में हर ख़्वाब को सजा रहा है,
सियाह गलियारों में एक नया दाग़-दाग़ सवेरा रचा रहा है,
वो मेरी शब ग़ज़ीदी को मेरे ज़ीस्त-ओ-निगाह में बढ़ा रहा है,

शैदाई इक तरफ़ मेरे ज़हन में चराग़-ए-आसमानी जला रहा है,
दूजी तरफ़ मुझ से हया का बेशकी़मती नक़ाब हटा रहा है,
मुझे अपनी तरफ़ खींचकर अपने क़िरदार-ए-इत्र में घुला रहा है,
सीने से मेरा सर लगाकर अपना नाम दिल पर सुना रहा है,
ओ मीठा सा गुड़ बणके मेरी नफ़स से अपनी जाँ जुड़ा रहा है!



© Tarana 🎶