...

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माँ
माँ तुम इतनी जल्दी क्यों चली गई ?
करनी थी तुमसे बहुत सारी बाते,
सीखना था मुझे तुमसे बहुत कुछ,
सोना था माँ मुझे तुम्हारी गोद मे,
सुननी थी लोरी सोते वक्त तुमसे,

माँ तुम इतनी जल्दी क्यों चली गई ?
जब इस दुनिया वाले मुझे डराने लगे,
तब छुपना था मुझे तुम्हारे आंचल में,
सीखनी थी माँ मुझे दुनियादारी तुमसे,
सही-गलत भी किसी ने सिखाया नही ,

माँ तुम इतनी जल्दी क्यों चली गई ?
हर रिश्ते मे माँ मैं तुम्हे तलाशती हुई,
ना जाने कब मैं अकेले बडी हो गई,
तुम मेरे दिल को खालीपन से भर गई,
जीवन के हर पल मे तुम याद आती गई,

माँ तुम इतनी जल्दी क्यों चली गई ?
ना ही मिली मुझे किसी से शाबासी ,
ना ही किसी ने गलती करने पर डाटा,
तरसती रही हर पल तुम्हारे लिए माँ ,
काश तुम इतनी जल्दी ना गई होती!!


© रीवा