जिंदगी
जिंदगी में ना साथी है ना सहेली
फिर भी भीड़ की तन्हाइयों में गुम हो गई है पहचान ।
ना ख्वाब है ना अरमान
फिर भी रहती है टूटे हुए मकान ।
ना...
फिर भी भीड़ की तन्हाइयों में गुम हो गई है पहचान ।
ना ख्वाब है ना अरमान
फिर भी रहती है टूटे हुए मकान ।
ना...