ये कहाँ आ गए हम
सारी सुविधाएँ मिल गयी हैँ,
फिर भी मन एकाकी है,
कितना कुछ पा लिया,
फिर भी लगता सब बाकी है,
कलाई पर महंगी घड़ी है
मगर...
फिर भी मन एकाकी है,
कितना कुछ पा लिया,
फिर भी लगता सब बाकी है,
कलाई पर महंगी घड़ी है
मगर...