कविता…तुम
कविता…तुम
एक परिकल्पना हो
जो मुझे मिलाती है
कहीं किसी अनजाने कोने में
छुपकर बैठे हुए मुझसे ही
और बतियाती है
किसी पुराने दोस्त की तरह
कविता…तुम
सम्भवतया आईना हो
मेरे ही जज़्बातों का …
© theglassmates_quote
एक परिकल्पना हो
जो मुझे मिलाती है
कहीं किसी अनजाने कोने में
छुपकर बैठे हुए मुझसे ही
और बतियाती है
किसी पुराने दोस्त की तरह
कविता…तुम
सम्भवतया आईना हो
मेरे ही जज़्बातों का …
© theglassmates_quote
Related Stories