...

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पैसों की बिसात
है कितनी अजीब बात ये,
जब नन्हे मुन्ने बच्चे थे,
कभी पापा की पॉकेट से,
पंजी, चवन्नी या अठन्नी गिर जाते,
भाग कर उन्हें लूट लेते थे।
या कभी रुपया मिल जाता
तो अपने को मालदार समझ लेते थे।
लगता था जैसे,
खज़ाना ही हो गया हो प्राप्त।
जैसे-जैसे बड़े हुए,
कॉलेज तक पहुंचते पहुंचते,
सोचा करते थे,
अगर 4000 तक की नौकरी मिल जाए,
तो शानदार से...