...

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दस हर
सर दस और ज्ञान था पुरा
पर साथ घमंड था और अहंकार था पुरा
सिख सको तो सिखलो यारो
उस जैसा न इन्सान था पुरा
पर चूनी बुराई और हुआ भस्म वो
रघुपति ने किया सर्जन वो
एक अकेला भी कर सकता है
विनाश पाप का
काम नहीं छोड़ा कोई अधूरा
मिला कोई भी करी भलाई
सबमे देखी सिर्फ अच्छाई
जीता वही जो सच था
सच्चाई ही बस एक ही मत था
प्रभु राम मेरे सीतल जल से
समय आन पे बनै अंगार
किया दहन फिर दस सर का फिर
सबका फिर कर दिया उद्धार

© RAHUL PANGHAL