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जलती मानवता
सोच दरिंदगी देख सीना जलता है,
कहाँ खो गयी है इंसानियत?
सवाल ये खलता है।
बाजारू है सोच तुम्हारी,
सुनलो तुम हुक्मरानों,
ताउम्र कोई तख्त पर आसीन नही रहता है।
हर रोज किसी माँ की,
कोख यहाँ उजाड दी जाती है।
रामराज्य कहलाने वाले तेरे राज में,
हर घड़ी एक कली कुचल दी जाती है।
ईतिहास से कुछ सीख लो,
सुनलो तुम महाजनो,
काल की खाई में खो गए है,
खुदको खुदा समझने वाले।
© शिवाजी
कहाँ खो गयी है इंसानियत?
सवाल ये खलता है।
बाजारू है सोच तुम्हारी,
सुनलो तुम हुक्मरानों,
ताउम्र कोई तख्त पर आसीन नही रहता है।
हर रोज किसी माँ की,
कोख यहाँ उजाड दी जाती है।
रामराज्य कहलाने वाले तेरे राज में,
हर घड़ी एक कली कुचल दी जाती है।
ईतिहास से कुछ सीख लो,
सुनलो तुम महाजनो,
काल की खाई में खो गए है,
खुदको खुदा समझने वाले।
© शिवाजी
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