...

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आवारा बादल
देखो इन आवारा बादलों को
कैसे आसमान में छाए हैं ,
कभी आनन-फानन बरसते हैं
कभी इक इक बूंद को तरसाए हैं ,
कभी लगता है तुमसे सीखा है इन्होंने तरसाना
या फिर ये तुम्हें सिखाकर आए हैं।

लगीं है रौनकें चेहरे खिलखिलाए हैं ,
बच्चों ने कागज की कश्तियां
कुछ ने मेंढक भी बनाए हैं ,
हो गई है बारिश की पूरी तैयारी,
पड़ोसन की कड़ाही में तेल भी छुनछुनाए है ,
हम भी कमरे से बाहर छत पर निकल आए हैं।

जाने कब बरसेगा ?अभी तो डराए है ,
सुनो तो शोर बड़ी जोर से घनघनाए है ,
कभी बीच में , कभी इधर-उधर ,
कभी उत्तर किनारे बिजली लपलपाए है ,
और लो देखो !
बादलों से थोड़ी धूप भी चमचमाए है ,

आखिर में ये बादल तुमसे निकले
चली हवा ये उसके साथ कहीं
और बह निकले ।।
© khak_@mbalvi