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क्या उड़ना ज़रूरी है।
हर कोई रखता है,
आसमान में उड़ने की चाहत
और हर किसी को होती है,
ख़ुद के पंखों की ज़रूरत
पर इन्सान हमेशा से ही,
पंख दुसरे लगाता आया है
ख़ुद को उगा न सका,
तो बनावटी पंख बनाता आया है
जो पंछीयो में सबसे खास है,
उसे, अपने होने का आभास है
उन्हीं पंखों का बाज़ार करता आया है
वाह रे इन्सान! तू तो,
कुदरती नियमों का, भंग करता आया है
_पहल
आसमान में उड़ने की चाहत
और हर किसी को होती है,
ख़ुद के पंखों की ज़रूरत
पर इन्सान हमेशा से ही,
पंख दुसरे लगाता आया है
ख़ुद को उगा न सका,
तो बनावटी पंख बनाता आया है
जो पंछीयो में सबसे खास है,
उसे, अपने होने का आभास है
उन्हीं पंखों का बाज़ार करता आया है
वाह रे इन्सान! तू तो,
कुदरती नियमों का, भंग करता आया है
_पहल
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