...

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चितचोर
"नेह नयन से बरसाये,
निरख गोपीयों की ओर।
छुप छुप कर करे इशारे,
नटखट बड़ा ही चितचोर।
सोचे हर गोपी कान्हा मेरा,
खोले भेद न श्याम सलोना,
फाग रंग में रंगी गोपियां,
प्रेम रंग से सपन संजोना।
प्रश्न यही पर सबके मन मे,
कौन है वो राधिका प्यारी।
धुन बंशी की जिसके लिये,
कौन वो मोहन की दुलारी।
जाने ये गोकुल जाने बरसाना,
राधा कृष्ण की प्रीत पुरानी।
सुनकर प्रेम धुन बंशी की,
दौड़ी आती राधिका रानी।
प्रेम अव्यक्त पुनीत पावन,
राधा कृष्ण की प्रीत पुरानी।
श्याम धुन पर सुर राधा के,
रीत यही जग ने पहचानी।"
ऋcha
© anubhootidilse