...

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उसकी हँसी
उसका हंसना
जेसे कलियों का खिलना
अलग है उसकी हँसी
जेसे ताड़ के वृक्षों में एक चन्दन
पूरी ,खनकती है उसकी हँसी
जेसे गंगा नदी का कोलाहल
सुकून देते है उसके मुस्कुराते हुए होठ
जेसे सर्दी मे सूरज की पहली किरण
प्यारा लगता है जब हसता है
उतना ही जितना आसमान मै उडती हुइ तितलियाँ
कभी देखा नहीं उसे मुरझाया हुआ
सुना होगा उसने सावन अधूरा है बारिश के बिना
क्या ही संपूर्णता है उसकी हसी मैं
डिम्पल पडते है जब हसता है
जेसे मछली का फिर से गोते खाकर समुद्र मै गिरना
नायब है उसकी हँसी
उसे वयां करपाना अल्फाजो के बस मै कहाँ