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# मौन
#मौन

धारण कर लेना मौन को
अस्वीकृति का एक रूप है
संसार से विरक्ति का स्वरूप है
हम चुप हो जाते हैं
जब हम जान जाते हैं
कि बोलना व्यर्थ है
कोई नहीं समझेगा हमारी बात को
सिर्फ़ उपहास होगा
इसलिए धारण कर लेना मौन को
सहमति नहीं असहमति भी हो सकती है
राह सीधी ही नहीं जाती ज़िन्दगी की
उस पर मोड़ और पगडंडियाँ भी हो सकती हैं
गिरने से बचना है तो संभल कर चलना है
बोलना ही नहीं है हमेशा मौन भी धारण करना है ।



© Geeta Yadvendu