विचार कर
रुक जा ठहर जा थम जा कुछ पल के लिए।
विचार कर
क्या हुआ क्यों हुआ कैसे हुआ कुछ तो वजह रही होगी इस पल के लिए।
विचार कर
संभल जा संवर जा सुधर जा टटोल ले खुद को पल भर के लिए।
शायद ही कभी तुझे फिर ये मंजर मिले थमने का सोचने का संभलने का कुछ पल के लिए।
विचार कर
बदल दे निय्यत अपनी नारास्ती सोच की अभी भी वक़्त है समय रहते संभल जा हर पल के लिए।
समझ बैठा खुद को फरिश्ता देता सज़ा तू मजलूमों को अपना पेट भरने के लिए।
वक़्त है अभी भी इंसाफ कर हैवानियत को छोड़ कर हर पल के लिए।
असास रख इंसानियत की दफना दे हैवानियत को आलीम बन इकरार कर हर पल के लिए।
कदर कर प्रकृति की उन नेमतो की जो मिली है तुझे उम्र भर के लिए।
बेखता को सताना छोड़ दें नहीं तो बेजार हो जाएगा हर पल के लिए।
अभी भी वक़्त है हिफाजत कर प्रकृति की परस्तिश कर पनाह ले उम्र भर के लिए।
_#संघमित्रा
विचार कर
क्या हुआ क्यों हुआ कैसे हुआ कुछ तो वजह रही होगी इस पल के लिए।
विचार कर
संभल जा संवर जा सुधर जा टटोल ले खुद को पल भर के लिए।
शायद ही कभी तुझे फिर ये मंजर मिले थमने का सोचने का संभलने का कुछ पल के लिए।
विचार कर
बदल दे निय्यत अपनी नारास्ती सोच की अभी भी वक़्त है समय रहते संभल जा हर पल के लिए।
समझ बैठा खुद को फरिश्ता देता सज़ा तू मजलूमों को अपना पेट भरने के लिए।
वक़्त है अभी भी इंसाफ कर हैवानियत को छोड़ कर हर पल के लिए।
असास रख इंसानियत की दफना दे हैवानियत को आलीम बन इकरार कर हर पल के लिए।
कदर कर प्रकृति की उन नेमतो की जो मिली है तुझे उम्र भर के लिए।
बेखता को सताना छोड़ दें नहीं तो बेजार हो जाएगा हर पल के लिए।
अभी भी वक़्त है हिफाजत कर प्रकृति की परस्तिश कर पनाह ले उम्र भर के लिए।
_#संघमित्रा