आध्यात्मिक होने की पहली शर्त है - “विरोधी होना"
विवेकानंद भी बुरे थे,जब जीवित थे, बुद्ध भी बुरे थे जब जीवित थे, यहाँ तक कि श्रीकृष्ण को भी लोग अहंकारी कहते थे, और कहने वाले अब भी कुछ भी कह देते हैं,
सवाल यह नहीं है, कि कौन क्या कहता है? सत्य की सीढ़ियों पर चढ़ने के लिए लोगों के बहुमत की ओर ध्यान देना ही नहीं चाहिए, और जिस व्यक्ति में सत्य की भूख होती है, उसकी यह भूख खत्म...
सवाल यह नहीं है, कि कौन क्या कहता है? सत्य की सीढ़ियों पर चढ़ने के लिए लोगों के बहुमत की ओर ध्यान देना ही नहीं चाहिए, और जिस व्यक्ति में सत्य की भूख होती है, उसकी यह भूख खत्म...