...

6 views

मेरा चाँद….
ख़्वाब की खिड़की!
खिड़की से चाँद दिखता…
निगाहो की गहराई से,
वो हल्का-हल्का दिखता…

साँसो का धीरें-धीरें से,
फूल मोहब्बत बन खिलता….
इशारो से बात करे आकर,
सपनों में आन मिलता…

भीग जाती पत्तियाँ,
मेरे सूखे गुलिसतान की….
बादलों के भीतर से,
दिखे सूरत मेरे यार की….

थोड़ा शर्मिला है !
यूँही छुप जाता बादलों में…...