...

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मेरा चाँद….
ख़्वाब की खिड़की!
खिड़की से चाँद दिखता…
निगाहो की गहराई से,
वो हल्का-हल्का दिखता…

साँसो का धीरें-धीरें से,
फूल मोहब्बत बन खिलता….
इशारो से बात करे आकर,
सपनों में आन मिलता…

भीग जाती पत्तियाँ,
मेरे सूखे गुलिसतान की….
बादलों के भीतर से,
दिखे सूरत मेरे यार की….

थोड़ा शर्मिला है !
यूँही छुप जाता बादलों में…
दिन में आकर मुझसे,
बात करता प्यार की….

प्यार के दायरे में रहकर,
मुझे ऐसे वो मिलता….
साँसो का धीरें-धीरें से,
फूल मोहब्बत बन खिलता…

बेताब हो जाती हैं.
धड़कने हमारी तब…
चुपके से आता वो,
खिड़की में हमारी जब….

थोड़ा मुस्करादो !
थोड़ा नज़रों को झुका दो….
“जिंद” प्यार से ऐसे वो कहता,
आँखें बंद हो जाती हमारी तब…..

फ़िक्र वो बहुत करता मेरी,
इस लिए हर रोज़ मुझे मिलता….
साँसो का धीरें-धीरें से ,
फूल मोहब्बत बन खिलता….


#जलते_अक्षर



© ਜਲਦੇ_ਅੱਖਰ✍🏻