अब बोझ उठता नहीं
अब बोझ उठता नहीं,
बेवजाह हुए गलतीओ का,
कभी - कभी थकाती बहुत है,
ऐ ज़िंदगी तू इन झमेलों से,
जिसमें उलझे हुए है सारे रिश्ते- नाते..
© Hiren Brahmbhatt -- Hirswa
बेवजाह हुए गलतीओ का,
कभी - कभी थकाती बहुत है,
ऐ ज़िंदगी तू इन झमेलों से,
जिसमें उलझे हुए है सारे रिश्ते- नाते..
© Hiren Brahmbhatt -- Hirswa
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